देखते ही देखते अब बदुआ बडा होने लगा, और उसकी धमा चौकडी दिन पे दिन बढ़ती गयी जिससे लोग परेशां होने लगे थे उधर बदुआ के पिता जी बदुआ को छोड़ कर शहर me नौकरी करने चले गए, बदुआ का लालन पालन दादी के हवाले था दादी भी उसको बड़ा प्यार करतीं थीं
बदुआ के दादा को लोग काजी जी कहते थे काजी जी के तीन बेटे और दो बेटियाँ थीं , बेटियों की शादी कर दी थी वो अपने-अपने ससुराल में रहतीं थीं ससुराल पास के ही गाँव कुसमी में था , उन्हें जब भी माँ-बाप की याद आती थी अपनी बैल गाड़ी में एक नौकर को लेकर चली आतीं थीं पहले बैल गाड़ियों से ही आना जाना होता था, महिलाओं के लिए एक विशेष प्रकार की बैल गाड़ी होती थी जिस के चारों तरफ़ कपड़ा लगा होता था जिससे परदा हो जाता था
जब काजी जी अपने बेटियों को बिदा करते थे तो उसी बैल गाड़ी में अनाज, दालें, चना सत्तू तथा तमाम तरह के समान खाने पीने की चीज़ें इत्यादी देते थे। काजी जी के पास पैसो की कमी नही थी खेती बाड़ी काफी थी नोकर चाकर लगे थे कोई हुक्का भर कर लारहा है तो कोई पैर दबा रहा है कोई गाये-भैंस का काम कर रहे हैं
काजी जी का एक बेटा पुलिस में था एक बेटा आर्मी में था एक कुछ आवारा किस्म का था तीनो बेटे खेती-बड़ी में दिलचस्पी नही लेते थे सभी बेटे एक एक कर के काजी जी को छोड़ कर शहर में आकर बस गए और काजी जी अकेले अपनी बेगम और बदुआ के साथ रह गए ,
Friday, 9 May 2008
पापा जी और मैं
Saturday, 15 December 2007
मेरे पापा
मेरे पापा का नाम बदरुद्दीन है। बचपन मे पापा को बदुआ पुकारते थे। मेरे पापा का जन्म ग़ाज़ीपुर के कुस्मी नामक गांव में हुआ था।
मेरे पापा के दादा गांव के ज़मीदार थे गांव के सभी लोग उनको का़ज़ी जी पुकारते थे। पापा की दादी पापा को मक्खन से मालिश किया करती थीं। बचपन में पापा काफ़ी शरारती थे। वो इतने नटखट थे जितने कृष्ण भगवान अपनी बाल अवस्था में थे। कभी किसी पेड़ पर चढ़ जाना कभी तालाब में कूद कूद कर नहाना. अपने मित्रों को परेशान करना कभी उन को हरी मिर्च खिला देना कभी रात के अन्धेरे में डरा देना
मेरे पापा के दादा गांव के ज़मीदार थे गांव के सभी लोग उनको का़ज़ी जी पुकारते थे। पापा की दादी पापा को मक्खन से मालिश किया करती थीं। बचपन में पापा काफ़ी शरारती थे। वो इतने नटखट थे जितने कृष्ण भगवान अपनी बाल अवस्था में थे। कभी किसी पेड़ पर चढ़ जाना कभी तालाब में कूद कूद कर नहाना. अपने मित्रों को परेशान करना कभी उन को हरी मिर्च खिला देना कभी रात के अन्धेरे में डरा देना
Monday, 26 November 2007
Friday, 2 November 2007
मेरे पापा
मेरे पापा दुनिया के सभी पापाओ से बेह्तर है
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